Thursday, 27 October 2016

तेरी मेहरवानी का है बोज इतना.. भजन

तेरी मेहरवानी का है बोज इतना.. भजन

तेरी मेहरवानी का है बोज इतना,
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ | 
मै आतो गया हु, मगर जनता हु,
तेरे दर पे आने के काबिल नहीं हु|
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना, 
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
    
जमाने कि चाहत ने मुजको मिटाया, 
तेरा नाम हरगिज जुबां पे ना आया
गुनागार हु मै, खतावार हु मै, 
तुम्हे मुहँ दिखने के काबिल नहीं हु
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना, 
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |

ये माना  कि दाता हो तुम सारे जहां के, 
मगर कैसे झोली फैलाऊ मै आ के
जो पहले दिया है वो कुछ कम नहीं है, 
उसी को निभाने के काबिल नहीं हु
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना, 
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
    
तुम्ही ने अदा कि मुझे जिन्दगानी, 
महिमा तेरी फिर भी मैंने ना जानी
कर्जदार तेरी दया का हु इतना, 
ये कर्जा चुकाने के काबिल नहीं हु
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना, 
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |

जी चाहता है दर पे, सिर को झुका लु, 
तेरा दर्श एक बार जी भर के पा लु
सिवा दिल के टुकड़े के मेरे दाता, 
मै कुछ भी चढ़ाने के काबिल नहीं हु
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना 
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |  


     

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