आदत बुरी सुधार
लो
आदत बुरी सुधार
लो, बस हो गया भाजन।
मन की तरंग मार
लो, बस हो गया भजन।।
दृष्टि में तेरे
दोष है, दुनियाँ निहारती।
समता का अंजन आँज
लो।। ..बस हो गया...।।
आए कहाँ से और अब,
जाना कहाँ तुम्हें।
मन में यही विचार
लो।। ..बस हो गया ...।।
नेकी सभी के साथ
में, जितनी बने करो।
मत सिर बदी का
भार लो।।.. बस हो गया...।।
कटुता मनों से
त्याग दो, मीठे वचन कहो।
वाणी का स्वर
सुधार लो।।..बस हो गया...।।
अच्छे बुरे जो भी
तुम्हें, प्रभु ने कर्मों के फल दिये।
हँसकर सभी गुजार
लो।।..बस हो गया...।।
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