Saturday, 29 October 2016
Friday, 28 October 2016
Thursday, 27 October 2016
मेरे दाता के दरबार में……….भजन
मेरे दाता के दरबार में……….भजन
मेरे दाता के दरबार में, सब लोगो का खाता।
जो कोई जैसी करनी करता, वैसा ही फल पाता॥
मेरे दाता के दरबार में, सब लोगो का खाता।
क्या साधू क्या संत गृहस्थी, क्या राजा क्या रानी।
प्रभू की पुस्तक में लिक्खी
है, सबकी कर्म कहानी।
अन्तर्यामी अन्दर बैठा, सबका हिसाब लगाता॥
मेरे दाता के दरबार में, सब लोगो का खाता।
जो कोई जैसी करनी करता, वैसा ही फल पाता॥
बड़े बड़े कानून प्रभू के, बड़ी बड़ी मर्यादा।
किसी को कौड़ी कम नहीं
मिलती, मिले न पाई ज्यादा।
इसीलिए तो वह दुनियाँ का जगतपति कहलाता।
मेरे दाता के दरबार में, सब लोगो का खाता।
जो कोई जैसी करनी करता, वैसा ही फल पाता॥
चले न उसके आगे रिश्वत, चले नहीं चालाकी।
उसकी लेन देन की बन्दे, रीति बड़ी है बाँकी।
समझदार तो चुप रहता है, मूरख शोर मचाता॥
मेरे दाता के दरबार में, सब लोगो का खाता।
जो कोई जैसी करनी करता, वैसा ही फल पाता॥
उजली करनी करले बन्दे, करम न करियो काला।
लाख आँख से देख रहा है, तुझे देखने वाला।
उसकी तेज नज़र से बन्दे, कोई नहीं बच पाता॥
मेरे दाता के दरबार में, सब लोगो का खाता।
जो कोई जैसी करनी करता, वैसा ही फल पाता॥
मेरे दाता के दरबार में, सब लोगो का खाता।
जो कोई जैसी करनी करता, वैसा ही फल पाता॥तेरी मेहरवानी का है बोज इतना.. भजन
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना.. भजन
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना,
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
मै आतो गया हु, मगर जनता हु,
तेरे दर पे आने के काबिल नहीं हु|
तेरे दर पे आने के काबिल नहीं हु|
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना,
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
जमाने कि चाहत
ने मुजको मिटाया,
तेरा नाम हरगिज जुबां पे ना आया
तेरा नाम हरगिज जुबां पे ना आया
गुनागार हु
मै, खतावार हु मै,
तुम्हे मुहँ दिखने के काबिल नहीं हु
तुम्हे मुहँ दिखने के काबिल नहीं हु
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना,
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
ये माना कि दाता हो तुम सारे जहां के,
मगर कैसे झोली फैलाऊ मै आ के
मगर कैसे झोली फैलाऊ मै आ के
जो पहले दिया
है वो कुछ कम नहीं है,
उसी को निभाने के काबिल नहीं हु
उसी को निभाने के काबिल नहीं हु
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना,
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
तुम्ही ने
अदा कि मुझे जिन्दगानी,
महिमा तेरी फिर भी मैंने ना जानी
महिमा तेरी फिर भी मैंने ना जानी
कर्जदार तेरी
दया का हु इतना,
ये कर्जा चुकाने के काबिल नहीं हु
ये कर्जा चुकाने के काबिल नहीं हु
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना,
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
जी चाहता है
दर पे, सिर को झुका लु,
तेरा दर्श एक बार जी भर के पा लु
तेरा दर्श एक बार जी भर के पा लु
सिवा दिल के
टुकड़े के मेरे दाता,
मै कुछ भी चढ़ाने के काबिल नहीं हु
मै कुछ भी चढ़ाने के काबिल नहीं हु
तेरी मेहरवानी का है बोज इतना
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
जिसे मै उठाने के काबिल नहीं हूँ |
Tuesday, 25 October 2016
Monday, 24 October 2016
Saturday, 22 October 2016
Friday, 21 October 2016
सफलता का रहस्य - Secret of Success
सफलता
का रहस्य - Secret of Success
आप
उतने ही मूल्यवान हैं जितना आप सोचते हैं| सफल होने के लिए सबसे पहले आप यह निर्णय
ले या निश्चित करे कि क्या आपको सफलता चाहिए और उसे पाने के लिए आप वो सब करने के
लिए तैयार हैं, जो सफलता पाने के लिए चाहिए| बहुत से लोग कहते हैं कि उन्हें सफलता
चाहिए लेकिन जुम्मेवारी से भागते हैं, जब एक बार आपने सफलता पाने के लिए सोच लिया तो उससे सम्बन्धित
जुम्मेवारियों का साहस के साथ मुकाबला करे| कुछ चुने हुए सुझाव हैं जिन्हें अपना कर
सफलता को पाया जा सकता है |
- - लक्ष्य को निश्चित करो (आपको क्या चाहिए) तथा अडिग निश्चय के साथ शुरू करो |
- - जो आप चाहते (लक्ष्य) को कागज पर लिखो और समय सीमा निश्चित करो, वर्तमान काल में लिखो और उसे एसे स्थान पर लगाओ जहाँ से उसे बार-बार देख सको और पढ़ सको | क्योंकि लिखा हुआ कार्य जरुर सम्पन होता है, उधारण के लिए शादी का निमंत्रण - पत्र, एक बार निमंत्रण-पत्र छप जाता है तो सभी कार्य उसी के अनुसार होते है और 99.9% शादी होती है|
- - जिस क्षेत्र में आप सफलता चाहते हो उस क्षेत्र के लिए अपने दिमाग में जगह बनाओ, अनचाही सूचनाओ को भुला दो ताकि जिस क्षेत्र में आप सफल होना चाहते है उससे सम्बन्धित सूचनाओं को स्थान मिल सके| क्योंकि प्रकृति भी खाली जगह को भर देती है, जिन वस्तुओं कि जरूरत नहीं वो भी हटा दो, क्षेत्र से सम्बन्धित वस्तुए ही आसपास हो|
- - अपने लक्ष्य को जोर जोर से बोलो, अपने आप से, दोस्तों के साथ बातें करते समय दोहराते रहो|
- - अपने लक्ष्य को पूरा होता देखो | लक्ष्य पूरा होने पर कैसा महसूस करोगे वैसा दृश्य देखो और उसमे जीवो| विचारों को दृश्य में बदलो क्योंकि हमारा अंतर्मन (subconscious mind) दृश्यों तथा रंगो कि भाषा समझता है | वह आपके दृश्य को वास्तविकता में बदल देगा | अन्त में जो सबसे जरूरी है वह है लक्ष्य के प्रति क्रमबद्धता अत: कार्य में लग जाओ | आपका लक्ष्य बहुत सुंदर हो सकता है लेकिन कर्म नहीं करोगे तो लक्ष्य प्राप्ति कभी भी नहीं होगी |
- कार्य करते समय अपने आपको अकेला मत
समझो परमपिता परमात्मा को अपना साथी बना कर कार्य करते जाओ | मात्र ज्ञान ही कोई
शक्ति नहीं है, ज्ञान के आधार पर कर्म ही एक शक्ति है और जिसके पास यह शक्ति है
उसकी सफलता निश्चित है |
Thursday, 20 October 2016
मन्दिर में क्यों जाना चाहिए, क्या है, मूर्ति पूजा और आरती |
मन्दिर
में क्यों जाना चाहिए, क्या है, मूर्ति पूजा और आरती |
मन्दिर
वह स्थान है जहां पर देवियों और देवताओं कि मूर्तियाँ स्थापित होती है | हिन्दू
धर्म में 33 प्रकार के देवी और देवता है | हरेक देवी और देवता कि अपनी शक्ति और
वरदान है | हम मन्दिर में आकर्षण के सिद्धान्त (Law of Attraction) के
अनुसार जाते है | जैसे यदि मुझे धन चाहिए तो मैं कुबेर देवता या लक्ष्मी जी कि
मूर्ति के सामने जाकर उनकी पूजा अर्चना करूंगा और आरती (A way of asking from universe) में मै धन कि मांग करूंगा | और
यदि मुझे शिक्षा चाहिए तो मैं सरस्वती जी कि मूर्ति को चुनुगा और शक्ति चाहिए तो
माँ दुर्गा और भक्ति के लिए हनुमान जी | हर मनुष्य कि अलग-अलग इच्छा होती है, उसे
इधर-उधर न जाना पड़े अत: एक ही मन्दिर अनेक मूर्तियाँ स्थापित कि जाती है |
जब
हम मन्दिर में जाते हैं तो सबसे पहले दंडवत प्रणाम करते हैं इससे हमें पृथ्वी तत्व
कि प्राप्ति होती है | जब हम आरती कि थाली में रक्खे दीपक कि लौ (जो आत्मा और
परमात्मा का सूचक है) से हमें अग्नि तत्व कि प्राप्ति होती है | जब हम चर्नाअमृत (जल में तुलसी के पत्ते) लेते है तो हमें जल तत्व
कि प्राप्ति होती है | जब मन्दिर का पुजारी मौर पंख से आशिर्वाद देता तो तो हमें वायु
तत्व कि प्राप्ति होती है और जब शंखनाद होता है तो हमें आकाश तत्व कि प्राप्ति
होती है और तिलक लगता तो हमें यह आत्मामिक कि स्थिति का बोद्ध कराता है, इससे शरीर
और आत्मा दोनों को लाभ होता है| अत: मन्दिर सपरिवार रोजाना जा चाहिए | आकर्षण का
सिद्धान्त काम करता, करके देखें | मूर्ति पूजा ढोंग नहीं एक सिद्धान्त है और
सिद्धान्त काम करता इसके लिए कोई जाति धर्म व लिंग बंधन नहीं होता |
Wednesday, 19 October 2016
Tuesday, 18 October 2016
परमात्मा को कैसे याद करे | How to remember GOD
परमात्मा
को कैसे याद करे |
1. परमात्मा का परिचय | जैसे परमात्मा
का नाम, स्वरूप, स्थान |
2. परमात्मा रिश्ता | जैसे सद्गुरु,
परमपिता, |
3. परमात्मा से प्यार | क्योंकि
रिश्ते में भी प्यार होना जरूरी है|
4. परमात्मा से प्राप्ति | जैसे
पवित्रता, ज्ञान, शक्ति, सुख़, शान्ति, प्रेम व आनन्द |
परमात्मा को याद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, उनकी याद अपने आप आएगी जैसे माँ को
याद करने के लिए कुछ करना पड़ता और याद भी करना पड़े तो एसे याद करो जैसे कोई बच्चा
अपनी माँ को याद करता है| फिर भी याद ना आये तो कोई कार्य करने से पहले इतना याद
रक्खो कि मुझसे बड़ी कोई शक्ति है जिसे परमात्मा कहते है|
आदत बुरी सुधार लो - भजन
आदत बुरी सुधार
लो
आदत बुरी सुधार
लो, बस हो गया भाजन।
मन की तरंग मार
लो, बस हो गया भजन।।
दृष्टि में तेरे
दोष है, दुनियाँ निहारती।
समता का अंजन आँज
लो।। ..बस हो गया...।।
आए कहाँ से और अब,
जाना कहाँ तुम्हें।
मन में यही विचार
लो।। ..बस हो गया ...।।
नेकी सभी के साथ
में, जितनी बने करो।
मत सिर बदी का
भार लो।।.. बस हो गया...।।
कटुता मनों से
त्याग दो, मीठे वचन कहो।
वाणी का स्वर
सुधार लो।।..बस हो गया...।।
अच्छे बुरे जो भी
तुम्हें, प्रभु ने कर्मों के फल दिये।
हँसकर सभी गुजार
लो।।..बस हो गया...।।
Saturday, 15 October 2016
Monday, 10 October 2016
हमने आँगन नहीं बुहारा - भजन
हमने आँगन नहीं बुहारा - भजन
हमने आँगन नहीं बुहारा, कैसे आयेंगे भगवान्।
चंचल मन को नहीं सम्भाला , कैसे आयेंगे भगवान् ॥
हर कोने में कलिशाह की, लगी हुई है ढेरी।
नहीं ज्ञान की किरण कहीं पर,
हर कोठरी अँधेरी।
आँगन चौबारा अँधियारा, कैसे आयेंगे भगवान्॥
हृदय हमारा पिघल न पाया, जब देखा दुखियारा।
किसी पन्थ भूले ने हमसे, पाया नहीं सहारा।
सूखी है करुणा की धारा, कैसे आयेंगे भगवान्॥
अन्तर के पट खोल देख लो,
ईश्वर पास मिलेगा।
हर प्राणी में ईश्वर का, तुज्को आभास मिलेगा।
सच्चे मन से नहीं पुकारा, कैसे आयेंगे भगवान्॥
निर्मल मन हो तो रघुनायक, शबरी के घर आते।
श्याम सूर की बाँह पकड़ते, साग विदुर घर खाते।
इस पर हमने नहीं विचारा, कैसे आयेंगे भगवान्॥
Subscribe to:
Comments (Atom)









































